
दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के पास हुए बम विस्फोट की जांच ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को फिर से खतरनाक मोड़ पर पहुँचा दिया है। जांच एजेंसियों को मिले JeM (जैश-ए-मोहम्मद) से जुड़े लिंक यह संकेत देते हैं कि पाकिस्तान की धरती पर बैठे आतंकी नेटवर्क फिर 90 के दशक वाली हिंसा को दोहराने की कोशिश में हैं।
और ऐसे समय में, बलूचिस्तान के विश्लेषक एक दिलचस्प—और थोड़ा फिल्मी—सलाह लेकर सामने आ गए हैं।
“Pakistan छोड़ने वाला नहीं है आतंकवाद”—Baloch Analysts का तंज
बलूच कार्यकर्ता मीर यार बलूच ने दावा किया कि पाकिस्तान आतंकवाद छोड़ने का नाम नहीं लेगा, इसलिए भारत को अब “decisive mode” में जाना चाहिए। उनके बयान का डायलॉग-लेवल इम्पैक्ट ऐसा था, “अगर India इज़राइल-स्टाइल हमला करे, Pakistan एक महीने तक भी नहीं टिक पाएगा।”
यानी एक तरह से, उन्होंने पाकिस्तान की सैन्य-आर्थिक स्थिति को ‘weak battery mode’ में बता दिया — बस चार्जर लगते ही बंद।
Afg + Balochistan = मीर यार बलूच का ‘Master Plan’
अब आता है वह हिस्सा जो किसी जिओपॉलिटिकल थ्रिलर मूवी की रणनीति जैसा लगता है।
अफगानिस्तान से ऑपरेशन लॉन्च करो
बगराम के साथ 10 अतिरिक्त एयरबेस तलाशो, लंबी दूरी की मिसाइलें और रक्षात्मक सिस्टम दो, यानी अफगानिस्तान को ‘डिफेंस पॉवर स्टेशन’ बना दो।

बलूचिस्तान को खुलेआम समर्थन
रक्षात्मक तकनीक, एंटी-एयर सिस्टम, और सैन्य लॉजिस्टिक्स उनका दावा है कि अगर यह हो गया, तो पाकिस्तान पर दबाव “Double Side Compression” जैसा हो जाएगा।
“बलूच फोर्सेज कुछ हफ्तों में पाकिस्तान पर काबू कर लेंगी”—बड़ा दावा
मीर यार बलूच ने कहा कि Pakistan की economic weak spot वही है जिसे दबाने पर पूरा तंत्र ढह जाता है— और वह है Mineral-rich Balochistan।
उनका कहना है कि अगर बलूच समूह इन संसाधनों पर नियंत्रण पा लेते हैं, तो पाकिस्तान को अरबों डॉलर का नुकसान होगा। बलूच नेता इसे Pakistan की ‘कमजोर नस’ कहते हैं, जिसका भारत फायदा उठा सकता है—
(हालांकि यह बयान सीधा-सीधा जिओपॉलिटिकल शतरंज जैसा है, रियल-लाइफ एक्सक्यूशन नहीं।)
India-Pakistan Relations Again at a Turning Point
JeM लिंक मिलना और बलूच नेतृत्व के यह “खुले सुझाव” भारत-पाकिस्तान संबंधों को एक बेहद संवेदनशील मोड़ पर ला खड़ा करते हैं। जहाँ एक तरफ सुरक्षा एजेंसियाँ विस्फोट की जाँच में लगी हैं, वहीं दूसरी तरफ जिओपॉलिटिकल विशेषज्ञ इस पूरे घटनाक्रम को आने वाले समय की South Asia Power Timeline का संभावित टर्निंग पॉइंट बता रहे हैं।
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